बंधू
आज के समय मे आध्यत्मिक संदेशो के प्रचुर प्रवाह ने जनमानस को दिग्भ्रिमित कर दिया है। अनेक विचारो के झंझावातो ने ऐसी स्थिति उत्पन्न कर दी है कि सही ग़लत का निर्णय कठिन हो गया है। व्यावहारिकता के आभाव मे जीवन जीने हेतु दिशाबोध भी लुप्त है। ऐसे मे एक अकिंचन प्रयास होगा कि यदि आपके जीवन की दशा व दिशा मे किंचित भी परिवर्तन हो तो यह prayaso ki saarthakta hogi.
सोमवार, 19 मई 2008
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