सोमवार, 19 मई 2008

aadhyatma

बंधू
आज के समय मे आध्यत्मिक संदेशो के प्रचुर प्रवाह ने जनमानस को दिग्भ्रिमित कर दिया है। अनेक विचारो के झंझावातो ने ऐसी स्थिति उत्पन्न कर दी है कि सही ग़लत का निर्णय कठिन हो गया है। व्यावहारिकता के आभाव मे जीवन जीने हेतु दिशाबोध भी लुप्त है। ऐसे मे एक अकिंचन प्रयास होगा कि यदि आपके जीवन की दशा व दिशा मे किंचित भी परिवर्तन हो तो यह prayaso ki saarthakta hogi.